भौगौलिक, सामाजिक व विभिन्न् संस्कृितियों के बीच की दूरियों को पाटते हुए सिनेमाज़ ऑफ़ इंडिया को वैश्विक फिल्मन संस्कृाति में भारतीय सिनेमा के वाहक के तौर पर तैयार किया गया है। इस मुहिम का लक्ष्यय योग्य भारतीय फिल्मों के प्रति दर्शकों की रुचि को बढ़ावा देना, भारत में उभरते कैशल का पालन-पोषण करना, इन फिल्मकारों के लिए प्रमुख समारोहों व बाजारों में एक अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शन-मंजूषा विकसित करना और भारत को दुनिया भर की कहानियों के लिए संभावना संपन्न फिल्मांकन स्थल के रूप में बढ़ावा देना है।

सिनेमाज़ ऑफ़ इंडियाअंतर्राष्ट्रीय फिल्म समुदाय व भारतीय फिल्म उद्योग के बीच व्यापक आदान-प्रदान को सुगम बनाने के लिए योग्य क्षेत्रीय, स्वतन्त्र व कला फिल्मोंि का अनुमोदन करता है। 2011 में मार्के दू कैन (कैन फिल्म बाज़ार) में भारतीय पैवेलियनसे शुरुआत करते हुए इस अभियान ने भारतीय सिनेमा के लिए निरंतर एक सम्भावना-सम्पन्न माहौल स्थापित किया है। एनएफडीसी टोरंटो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह (कनाडा), एमआईपीसीओएम (कैन), अमरीकी फिल्म बाज़ार (सांता मोनिका) और यूरोपीय फिल्म बाज़ार (बर्लिन) में भारत का सक्रियता से प्रचार करता रहा है।

अपने आप में प्रभावशाली युगांतकारी क्ला सिक फिल्मों की डिजिटली पुनः निर्मित डीवीडी/वीसीडी अब भारतीय बाजारों में उपलब्ध होंगी। कुंदन शाह की क्लासिक डार्क कॉमेडी जाने भी दो यारों, केतन मेहता की मिर्च मसाला और श्याम बेनेगल की सूरज का सातवाँ घोड़ा व मम्मो आदि जैसी 65 फिल्में… आगे पढ़ें

एनएफडीसी ने 10 अगस्त 2012 को पीवीआर 'डायरेक्टर्स रेयर' की सहभागीदारी में - गुरविंदर सिंह द्वारा निर्देशित एक पंजाबी फिल्म, अन्हे घोड़े दा दान रिलीज़ की... आगे पढ़ें

क्लासिक एनएफडीसी फिल्मों के होम वीडियो रिलीज़ संबंधी नवीनतम समाचारों के लिए, सिनेमाज़ ऑफ़ इंडिया का आधिकारिक फेसबुक पेज देखें। आप डिजिटली बहाल की गई एनएफडीसी फिल्मों के ट्रेलर भी देख सकते हैं... आगे पढ़ें

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